जानवर जो विलुप्त हो गए
नमस्ते! आज हम बात करेंगे उन जानवरों के बारे में जो अब विलुप्त हो चुके हैं. विलुप्त होना मतलब की वह अब ज़मीन पर मौजूद नहीं है. कई बार हम इंसान इससे स्वाभाविक कारणों से भी दूर कर देते हैं या फिर उनकी हरकत या मदद न करने से वह बिलकुल ही मिट जाते हैं. लेकिन उनके विलुप्त होने का मतलब यह भी है की हमने अपनी प्रकृति को हानि पहुंचाई है क्यूंकि हम सभी जानवरों के लिए एक दुसरे से जुड़े हुए हैं.
क्वागा: क्वागा एक हॉर्स के जैसे दिखने वाले जानवर थे जो अफ्रीका में पाए जाते थे. इनका नाम अफ्रिकान्से ताल में “कवा-है-है” था जिसे “ज़ेबरा की आवाज़” के रूप में भी जाना जाता था. क्वागा के सुन्दर स्ट्राइप्स के कारन वह खूबसूरत और उपयोगी जानवर थे. लेकिन १९थ सेंचुरी के बाद वह सूखे और खतरनाक डेजर्ट में पहुँच गए और इंसान उन्हें मारने लगा. आखिरी क्वागा १२ अगस्त १८८३ में मरे गए.
डोडो: डोडो एक बोहोत भारी पक्षी माना जाता था जो मॉरिशस में पाया जाता था. उनके शरीर का वजन लगभग ५० किलोग्राम होता था. लेकिन जब यूरोपियन सेटलर्स इसे १६थ सेंचुरी में देखा था तोह वह उन्हें आश्चर्य का सामना करना पड़ा. डोडो बिलकुल भी डरता नहीं था और आराम से पास से गुजर जाता था. यह भी खतरनाक था की इंसान उन्हें आसानी से मारते थे. डोडो का अंत १७थ सेंचुरी के शुरू में हुआ जब उन्हें एक आतंकी जानवर ने खाना शुरू कर दिया.
तस्मानियन टाइगर: तस्मानियन टाइगर या तिलकिने ऑस्ट्रेलिया और तस्मानिया के इलाक़ों में पाया जाता था. उनका नाम टाइगर के कारन था लेकिन असलियत में वह कुत्ते के जैसे दिखने वाले थे. उनके शरीर पर स्ट्राइपिंग होते थे. तस्मानियन टाइगर का अंत २०थ सेंचुरी के शुरू में हुआ जब वह मार दिए गए और उनकी जगह इंसान के बिल्डिंग्स और फार्म्स ने ली.
पैसेंजर पिजन: पैसेंजर पिजन नार्थ अमेरिका में पाया जाने वाला एक बड़ा सा बतख था. जब यह उड़ता था तोह वह एक लम्बा और खूबसूरत शब्द निकलता था जिसको लोग बहुत पसंद करते थे. १९थ सेंचुरी के बीच में इंसान इस जानवर की इतनी शिद्दत से शिकार करने लगा की उसका अंत आने लगा. आखिरी पैसेंजर पिजन १९१४ में मरे गए.
बैजी डॉलफिन: बैजी डॉलफिन जो यांग्त्ज़े रिवर में पाया जाता था चीन का एक मात्रा नदी डॉलफिन था. वह दिखने में बहुत प्यारा था और चीन के पास ही था. लेकिन जब चीन ने यांग्त्ज़े रिवर पर हाइड्रोइलेक्ट्रिक डैम बनाया तोह बैजी डॉलफिन के लिए उनकी निवासी स्थल खो जाना उसके लिए एक बड़ा कारण बन गया. और उसके अलावा भी पोल्लुशण और ओवेरफिशिंग ने इस जानवर की जान को खतरे में दाल दिया. आखिरी बैजी डॉलफिन २००६ में मरे गए और अब वह विलुप्त हो गए है.
स्टेलर‘स से काऊ: स्टेलर’स से काऊ जो अलास्का के पास के बहुत बड़े समुद्री जानवर थे विलुप्त होने का सबसे बड़ा कारण इंसान का उन्हें खाना बनाना था. जब यूरोपियन सेटलर्स अलास्का में पहुँच गए तोह उन्हें स्टेलर’स से काऊ का शिकार करने का शौक लग गया. आखिरी स्टेलर’स से काऊ १७६८ में मरे गए.
सबीर–टूटेड टाइगर: सबीर-टूटेड टाइगर जो बड़े ही बड़े दन्त वाले जानवर थे नार्थ अमेरिका में पाए जाते थे. इनके छोटे और तीखे दन्त इनकी शिद्दत और ताकत का प्रतीक थे. लेकिन यह जानवर १० साल पहले आइस आगे के अंत के बाद से विलुप्त हो गए हैं.
ग्रेट औक: ग्रेट औक जो नार्थ अटलांटिक में पाया जाता था एक बड़ा सा पेंगुइन जैसे जानवर था. वह बहुत खूबसूरत थे और यूरोपियन सेटलर्स के लिए उनका शिकार करना बहुत ही आसान था. उनकी ख़ूबसूरती और इजी एक्सेसिबिलिटी ने उन्हें इंसान के लिए एक बड़ा निशाँ बनाया. आखिरी ग्रेट औक १८४४ में मरे गए.
अमूर लेपर्ड: अमूर लेपर्ड एक बहुत ख़ूबसूरत जानवर है जो नार्थ-ईस्ट एशिया में पाया जाता है. ये जानवर क्रिटिकल्ल्य ेंदंगेरेद है और इसकी पापुलेशन केवल १०० से काम है. इनका हैबिटैट लोस्स और पोचिंग के कारण इनकी पापुलेशन तेज़ी से घाट रही है. इन्हें बचने के लिए इनका नेचुरल हैबिटैट रिस्टोर करना और इनका जीवन बचने के लिए स्ट्रिक्ट लॉज़ बनाने की ज़रूरत है.
सओला: सओला एक बहुत ही रेयर और यूनिक जानवर है जो वियतनाम और लाओस के बॉर्डर एरिया में पाया जाता है. ये जानवर क्रिटिकल्ल्य ेंदंगेरेद है और इसकी पापुलेशन केवल ४०० से काम है. इनके विलुप्त होने के कारण ये जानवर साइंटिस्ट्स और कंज़र्वेशनिस्ट्स के लिए एक मिस्ट्री बना हुआ है क्योंकि इनकी बेहेवियर और हैबिटैट के बारे में बहुत काम जानकारी है. इनकी बचाव के लिए इनके नेचुरल हैबिटैट की कन्सेर्वटिव और पोचिंग के खिलाफ स्ट्रिक्ट एक्शन लेने की ज़रूरत है.
इन सब जानवरों के विलुप्त होने का सबसे बड़ा कारण इंसान ही है. हमने अपनी प्रकृति के साथ खेलने की बजाये उसकी हानि की. कई बार हम उन जानवरों के लिए ज़्यादा ध्यान नहीं रखते लेकिन हमें याद रखना चाहिए की हम सब एक दुसरे से जुड़े हुए हैं और हमारी ज़िम्मेदारी है की हम उनकी सुरक्षा और देखभाल करें.
विलुप्त होने के बाद भी हम इन जानवरों के बारे में पढ़कर उनकी यादों को सजा सकते हैं और फ्यूचर में उनके विलुप्त होने की गलतियों से बचने के लिए हमें अपनी प्रकृति को और इंसान की ज़रूरतों को समझना होगा.